Budget 2024: बजट पेश होने से पहले प्वाइंट्स में समझें Budget की बारीकियां 

Budget 2024: वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2024 को अंतरिम बजट पेश करेंगी। मोदी सरकार के अंतर्गत वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश करने का यह लगातार छठा वर्ष होगा। इस साल की शुरुआत में होने वाले लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) को देखते हुए वित्त मंत्री पूरे साल के बजट के बजाय अंतरिम बजट पेश करेंगी।

वित्त वर्ष 2024-25 (Financial Year 2024-25) का पूर्ण बजट आम चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के बाद पेश किया जाएगा। बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित किया जाता है, जो अगले वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है। ऐसे में हम आपको इसके अंतर्गत आने वाले प्रमुख शब्‍दों (Key Terms) के बारे में जानकारी दे रहे हैं…

मुद्रास्फीति (Inflation)

मुद्रास्फीति वह दर है, जिस पर किसी देश में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं। किसी भी वर्ष में मुद्रास्फीति की दर जितनी अधिक होगी, वस्तुओं के एक निर्धारित समूह के लिए उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति उतनी ही कम होगी।

आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey)

बजट सत्र के दौरान अनावरण किया गया आर्थिक सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ के रूप में कार्य करता है, जो चालू वित्तीय वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन का अवलोकन प्रदान करता है। यह बजट की प्रस्तुति के लिए आधार तैयार करता है।

वित्त विधेयक (Finance Bill)

सरकार नए कर लगाने, Tax संरचना में बदलाव करने या मौजूदा कर संरचना (tax structure) को जारी रखने की नीति पेश करने के लिए वित्त विधेयक (finance bill) को एक दस्तावेज के रूप में उपयोग करती है।

कर राजस्व (Tax Revenue)

कर राजस्व वह धनराशि है, जो करों के रूप में एकत्र की जाती है जो आपकी आय, वस्तुओं और अन्य चीजों के मुनाफे पर लगाया जाता है। कर राजस्व सरकार की आय का प्राथमिक स्रोत है।

प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर (Direct Tax and Indirect Tax)

प्रत्यक्ष कर वह कर है, जो किसी व्यक्ति द्वारा सीधे सरकार को भुगतान किया जाता है। इसमें आयकर और कॉर्पोरेट कर दोनों शामिल हैं। दूसरी ओर अप्रत्यक्ष कर, लोगों द्वारा किसी व्यक्ति, संगठन या इकाई को दिया जाने वाला कर है, जो सरकार को कर चुकाने का भार वहन करता है। इसका भुगतान किसी सेवा पर GST, VAT और उत्पाद शुल्क (Excise Duties) के रूप में किया जाता है।

राजस्व घाटा (Revenue Deficit)

राजस्व घाटा सरकार द्वारा रोजमर्रा के कार्यों पर खर्च की गई राशि और करों और अन्य स्रोतों से उसकी कुल आय का अंतर है। जब भी राजस्व घाटा (Revenue Deficit) पैदा होता है तो इस अंतर को संतुलित करने के लिए केंद्र (Central Government) से धन उधार लेने की उम्मीद की जाती है।

राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

राजकोषीय घाटा शब्द का तात्पर्य सरकार के कुल खर्च और पिछले वित्तीय वर्ष की राजस्व प्राप्तियों के बीच के अंतर से है। इस अंतर को पाटने के लिए सरकार अन्य रणनीतियों के अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक से धन उधार लेने जैसे उपायों का सहारा लेती है।

सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product)

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अंतिम उपयोगकर्ता द्वारा खरीदी गई सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य का माप है, जो एक निश्चित समय में देश के भीतर उत्पादित होते हैं।

पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure)

किसी देश के पूंजीगत व्यय में वह कुल राशि शामिल होती है, जिसे केंद्र सरकार (Central Govt) आर्थिक विकास से जुड़ी मशीनरी और परिसंपत्तियों के विकास व अधिग्रहण या मूल्यह्रास के लिए आवंटित करने का प्रस्ताव करती है।

बजट अनुमान (Budget Estimate)

बजट अनुमान देश में मंत्रालयों, विभागों, क्षेत्रों और योजनाओं को आवंटित अनुमानित धनराशि है। यह निर्धारित करता है कि धन का उपयोग कैसे और कहां किया जाएगा और एक निश्चित अवधि के दौरान क्या लागत आएगी।

राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)

राजकोषीय नीति सरकार द्वारा अपनाई गई नीति है, जहां वह अपनी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने के लिए कराधान, सार्वजनिक उधार और सार्वजनिक व्यय का उपयोग करती है ताकि सतत विकास हासिल किया जा सके। एक स्वस्थ राजकोषीय नीति मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में बहुत सहायक होती है।

मौद्रिक नीति (Monetary Policy)

यह अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा की गई कार्रवाई को संदर्भित करता है। किसी अर्थव्यवस्था में तरलता की निगरानी करना महत्वपूर्ण है, जिससे इष्टतम विकास हासिल किया जा सके।

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