भारत में खाद्य महंगाई 5% से नीचे, खुदरा महंगाई में भी गिरावट: Union Bank की रिपोर्ट

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में खाद्य महंगाई दर जून 2023 के बाद पहली बार 5% से नीचे आ गई है। इसके अलावा, देश की कुल खुदरा महंगाई भी फरवरी 2025 में और घटकर 4% से नीचे पहुंच सकती है, जिसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में गिरावट बताया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया, “खाद्य महंगाई संभवतः जून 2023 के बाद पहली बार 5% के स्तर से नीचे आ गई है।”
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.94% हो गई, जो जनवरी 2025 में 4.31% थी। रिपोर्ट का कहना है कि यह गिरावट प्याज, आलू और टमाटर (OPT) समेत अन्य सब्जियों की कीमतों में कमी के चलते आई है।
आरबीआई के पास नीतिगत दरें घटाने का मौका
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की एक हालिया आर्थिक समीक्षा के अनुसार, जनवरी में महंगाई दर पांच महीने के निचले स्तर 4.3% पर आने से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास ब्याज दरों में कटौती करने की अधिक गुंजाइश बन गई है।
फरवरी के पहले हफ्ते में, आरबीआई ने नीतिगत रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया था। अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक अप्रैल में होनी है।
अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत
वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स जैसे कि Purchasing Managers’ Index (PMI) for manufacturing, जीएसटी कलेक्शन और इलेक्ट्रिक व गैर-इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में सुधार देखा गया है।
- मैन्युफैक्चरिंग PMI जनवरी में बढ़कर 57.7 हो गया, जो विस्तार का संकेत देता है।
- सेवा क्षेत्र का PMI भी मजबूत स्तर 56.5 पर बना रहा।
- जनवरी 2025 में जीएसटी संग्रह सकल और शुद्ध रूप से 12.3% और 10.9% की मजबूत दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि दिसंबर 2024 में यह क्रमशः 7.3% और 3.3% था।
कृषि क्षेत्र बना महंगाई नियंत्रण का सहारा
NCAER की महानिदेशक पूनम गुप्ता ने कहा, “महंगाई दर घटकर 4.3% होने से नीतिगत फैसलों के लिए अधिक अवसर उपलब्ध हुए हैं। कृषि क्षेत्र भी अपनी मजबूती दिखा रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलने की उम्मीद है।”
हालांकि, उन्होंने विदेशी संस्थागत निवेश (FII) प्रवाह में लगातार जारी गिरावट को लेकर सतर्क रहने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि “इतिहास गवाह है कि FII प्रवाह घरेलू के बजाय वैश्विक कारकों से अधिक प्रभावित होता है और यह काफी अस्थिर हो सकता है। मौजूदा समय में भारत से FII का बाहर जाना भी वैश्विक स्तर पर उभरते बाजारों से निकासी का हिस्सा है।”