Insurance से जुड़ी 7 बड़ी गलतियां जो आपको आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती हैं

बीमा वित्तीय योजना का एक अहम हिस्सा है, जो अनजान जोखिमों से सुरक्षा की छतरी का काम करता है। चाहे वह स्वास्थ्य बीमा हो, जीवन बीमा, घर या गाड़ी का बीमा – सही कवर यह सुनिश्चित करता है कि आपात स्थिति में आपकी जमापूंजी सुरक्षित रहे। लेकिन बीमा की जटिलताएं भी होती हैं, और आपकी कुछ गलतियां सुरक्षा के बजाय आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती हैं।
यहां 7 बड़ी बीमा गलतियां बताई गई हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए ताकि आपकी पॉलिसी सही समय पर पूरा कवरेज दे सके।
1. अपनी बीमा जरूरतों का सही आकलन न करना
अधिकतर लोग बीमा खरीदते समय अपनी वास्तविक जरूरतों पर ध्यान नहीं देते। उदाहरण के लिए, दिल्ली में काम करने वाला एक युवा पेशेवर सोच सकता है कि ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा उसकी और उसके परिवार की जरूरतों के लिए पर्याप्त है। लेकिन महानगरों में महंगे इलाज को देखते हुए यह राशि आपात स्थिति में कम पड़ सकती है।
सलाह: अपनी फैमिली साइज, स्थान और हेल्थकेयर जरूरतों को ध्यान में रखकर बीमा पॉलिसी चुनें ताकि मेडिकल इमरजेंसी में आर्थिक बोझ न बढ़े।
2. पॉलिसी की तुलना न करना
केवल एक लोकल बीमा एजेंट पर भरोसा करना महंगा साबित हो सकता है, क्योंकि वे अपनी ज्यादा कमाई के लिए ऐसे प्लान सुझा सकते हैं, जो आपके लिए सबसे फायदेमंद न हों। कई बार लोग ज्यादा प्रीमियम चुकाकर ऐसी पॉलिसी खरीद लेते हैं, जिसमें सीमित फायदे होते हैं, जबकि बेहतर और सस्ती योजनाएं बाजार में उपलब्ध रहती हैं।
सलाह: ऑनलाइन न्यूट्रल वेबसाइट्स पर जाकर विभिन्न बीमा पॉलिसियों की तुलना करें और बेनिफिट्स, कवरेज व एक्सक्लूजन को ध्यान में रखकर सही चुनाव करें।
3. जरूरी जानकारी छुपाना
बीमा पॉलिसी ‘अत्यधिक विश्वास’ (Utmost Good Faith) के सिद्धांत पर आधारित होती है, यानी आपको पूरी ईमानदारी से अपनी जानकारी देनी होती है।
अगर कोई धूम्रपान करने वाला व्यक्ति बीमा खरीदते समय अपनी आदत छुपाता है, तो भविष्य में क्लेम के दौरान जांच में यह बात सामने आने पर उसकी पॉलिसी रद्द हो सकती है। इसी तरह, पुरानी बीमारियों या पिछले क्लेम की जानकारी छुपाने से भी क्लेम रिजेक्ट होने का खतरा रहता है।
सलाह: पॉलिसी खरीदते समय पूरी और सही जानकारी दें ताकि भविष्य में कैंसिलेशन या क्लेम रिजेक्शन की समस्या न हो।
4. पॉलिसी की शर्तों को नजरअंदाज करना
अगर आपने बारीकी से शर्तें नहीं पढ़ीं, तो यह महंगा साबित हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप कार का थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस लेते हैं, यह सोचकर कि आपकी कार चोरी होने पर आपको मुआवजा मिलेगा, तो बाद में आपको झटका लग सकता है, क्योंकि थर्ड-पार्टी पॉलिसी में चोरी का कवरेज नहीं होता।
सलाह: पॉलिसी में शामिल और बाहर किए गए कवरेज, डिडक्टिबल्स (क्लेम के समय खुद से चुकाने वाली राशि) और बेनिफिट्स को ध्यान से पढ़ें।
5. कम कीमत के चक्कर में अधूरी कवरेज लेना
सिर्फ पैसे बचाने के लिए सबसे सस्ती बीमा पॉलिसी लेना भी नुकसानदायक हो सकता है। मान लीजिए, एक युवा दंपति सस्ता हेल्थ प्लान लेता है, लेकिन उसमें डिडक्टिबल्स, एक्सक्लूजन और को-पे की शर्तें नहीं देखता। जब बड़ी मेडिकल इमरजेंसी आती है, तो उन्हें अपनी जेब से भारी रकम चुकानी पड़ती है।
सलाह: ऐसी पॉलिसी चुनें, जिसमें कम लागत के साथ पर्याप्त कवरेज मिले, ताकि संकट के समय सही सुरक्षा मिल सके।
6. पॉलिसी की समय-समय पर समीक्षा न करना
समय के साथ आपकी जरूरतें बदलती हैं, और आपके बीमा प्लान को भी अपडेट करना जरूरी होता है। अगर आपने घर में मरम्मत कराई या कोई नया कीमती सामान खरीदा, लेकिन पॉलिसी अपडेट नहीं की, तो भविष्य में क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
सलाह: हर साल अपनी बीमा पॉलिसी की समीक्षा करें, ताकि यह आपकी मौजूदा संपत्तियों और जिम्मेदारियों के अनुसार हो।
7. क्लेम प्रोसेस को नजरअंदाज करना
कई लोग बीमा खरीदते समय क्लेम प्रोसेस पर ध्यान नहीं देते, जिससे जरूरत पड़ने पर उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
मान लीजिए, किसी परिवार को अचानक किसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए बीमा क्लेम करना पड़ता है, लेकिन जटिल और लंबी प्रक्रिया की वजह से उन्हें तुरंत राहत नहीं मिल पाती। इसलिए, हमेशा ऐसा बीमा प्रदाता चुनें, जिसकी क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया आसान और तेज हो।
सलाह: बीमा कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो (CSR) और क्लेम प्रक्रिया जांचें, ताकि इमरजेंसी में देरी और रिजेक्शन की समस्या न आए।