Electoral Bonds Scheme: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर लगाई तत्काल रोक, जानें क्‍या है ये?

Electoral Bonds Scheme: देश की शीर्ष अदालत ने लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले गुरुवार (15 फरवरी) को इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा लेने पर तत्काल रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह योजना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।

पांच जजों की बेंच ने इस केस पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस ने कहा कि पॉलिटिकल प्रॉसेस में सियासी दल अहम यूनिट होते हैं। पॉलिटिकल फंडिंग (Political Funding) की जानकारी वह प्रक्रिया है, जिससे वोटर को मतदान करने के लिए सही चॉइस मिलती है। मतदाताओं को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है, जिससे वोट के लिए सही चयन होता है।

SBI Electoral Bonds इश्‍यू करना बंद करे: Supreme Court

उच्‍चतम न्‍यायालय ने बैंकों को निर्देश दिया कि वे इलेक्टोरल बॉन्ड इश्यू करना बंद कर दें। साथ ही कहा कि 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) चुनाव आयोग (Election Commission of India) को दे। वेबसाइट पर भी यह जानकारी सार्वजनिक करे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पांच बड़े बिंदु  

  • एसबीआई, राजनीतिक दलों का ब्योरा दे, जिन्होंने 2019 से अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्‍यम से चंदा हासिल किया है।
  • एसबीआई, राजनीतिक दल की तरफ से कैश किए गए हर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी दे और कैश करने की तारीख का भी विवरण दे।
  • एसबीआई, सारी जानकारी 6 मार्च, 2024 तक चुनाव आयोग को दे और आयोग 13 मार्च तक जानकारी अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर सार्वजनिक करे।
  • राजनीतिक चंदे की गोपनीयता के पीछे ब्लैक मनी (Black Money) पर नकेल कसने का तर्क सही नहीं। यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
  • कंपनी एक्ट में संशोधन असंवैधानिक और मनमाना कदम है। इसके माध्‍यम से कंपनियों की ओर से राजनीतिक दलों को असीमित फंडिंग का रास्ता खुला।

Electoral Bonds Scheme | What is Electoral Bonds Scheme | What is Electoral Bonds

2 नवंबर को सुरक्षित रखा गया था फैसला

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने इस मामले में तीन दिन की सुनवाई के बाद 2 नवंबर, 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds Scheme) की वैधता मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने की। इसे लेकर 4 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

क्‍या है चुनावी बॉन्ड ? | What is Electoral Bonds Scheme

साल 2017 के बजट में तत्‍कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी बॉन्‍ड या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पेश किया था। केंद्र सरकार ने 29 जनवरी, 2018 को इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रोमिसरी नोट होता है, जिसे बैंक नोट (Bank Note) भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है। इसे अगर आप खरीदना चाहते हैं तो आपको ये State Bank of India की चुनी हुई ब्रांच में मिल जाएगा। इस बॉन्ड को इसे खरीदने वाला अपनी पसंद की पार्टी को डोनेट कर सकता है, बस वो राजनीतिक पार्टी इसके लिए एलिजिबल होनी चाहिए।

Eligibility for Electoral Bonds Scheme

इस बॉन्ड को खरीदने वाला 1000 से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का बॉन्ड खरीद सकता है। खरीदने वाले को बैंक को अपनी पूरी केवाईसी डिटेल में देनी होती है। खरीदने वाला जिस राजनीतिक पार्टी को ये बॉन्ड डोनेट करना चाहता है, उसे पिछले लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट मिला होना चाहिए। डोनर के बॉन्ड डोनेट करने के 15 दिन के अंदर इसे उस सियासी दल को चुनाव आयोग से वैरिफाइड बैंक अकाउंट से कैश करवाना होता है।

 

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