सरकार उपभोग बढ़ाने के लिए Income Tax में कटौती पर विचार कर रही है : रिपोर्ट
Financial Beat Desk : सरकार आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 (Central Budget 2025-26) में मध्यवर्ग को राहत देने के लिए आयकर (Income Tax) में कटौती पर विचार कर रही है। यह कदम शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लाखों करदाताओं को सीधे लाभ पहुंचा सकता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस फैसले से उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने की उम्मीद कर रही है।
2020 के नए कर व्यवस्था के तहत, 3 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की आय पर 5-20 प्रतिशत टैक्स लिया जाता है, जबकि इससे अधिक आय पर 30 प्रतिशत कर लगता है। वर्तमान में, 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता, और 3 से 7 लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत, 7 से 10 लाख रुपये तक पर 10 प्रतिशत, 10 से 12 लाख रुपये तक पर 15 प्रतिशत, 12 से 15 लाख रुपये तक पर 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लागू होता है।
सरकार के पास दो विकल्प हैं – पहला पुराने कर व्यवस्था, जिसमें हाउसिंग रेंट और इंश्योरेंस जैसी छूट मिलती है, और दूसरा नया कर व्यवस्था, जिसमें छूट कम हैं, लेकिन टैक्स दरें कम हैं। नई व्यवस्था को अपनाने से टैक्स का बोझ हल्का हो सकता है, जिससे ज्यादा लोग इस विकल्प को चुन सकते हैं।
कटौती की राशि का फैसला अभी तक नहीं किया
हालांकि, सरकार ने टैक्स कटौती की राशि का फैसला अभी तक नहीं किया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला फरवरी 1 तक लिया जा सकता है। भारत के कर राजस्व का एक बड़ा हिस्सा उन करदाताओं से आता है जिनकी आय 10 लाख रुपये से अधिक है, जिस पर 30 प्रतिशत टैक्स लिया जाता है।
इस बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था, जो वर्तमान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ने जुलाई से सितंबर के बीच अपने सात तिमाही के सबसे धीमे विकास की रिपोर्ट दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि मध्यवर्ग की आय बढ़ाने से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है, हालांकि उच्च खाद्य महंगाई ने उपभोक्ता मांग पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
राजनीतिक दबाव में सरकार को यह कदम उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उच्च कर और महंगाई की मार ने मध्यवर्ग की वित्तीय स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया है।