Fiscal Deficit: FY24 की पहली छमाही में भारत का राजकोषीय घाटा ₹7.02 लाख करोड़

Fiscal Deficit: सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में सितंबर तक भारत का राजकोषीय घाटा 7.02 लाख करोड़ रुपये या वार्षिक अनुमान का 39.3% रहा।

राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) तुलनीय वर्ष-पूर्व अवधि में रिपोर्ट किए गए 37.3% से बढ़ गया।

कुल प्राप्तियां (Receipt) 14.17 लाख करोड़ रुपये रहीं, जबकि अप्रैल से सितंबर में कुल खर्च 21.19 लाख करोड़ रुपये रहा। वे इस वित्तीय वर्ष के बजट लक्ष्य का 52.2% और 47.1% थे।

रेवेन्यू रिसिप्ट 13.97 लाख करोड़ रुपये रहीं, जिनमें टैक्स रेवेन्यू 11.60 लाख करोड़ रुपये और नॉन-टैक्स रेवेन्यू 2.37 लाख करोड़ रुपये था।

नॉन-टैक्स रेवेन्यू में वृद्धि क्यों हुई?

Fiscal Deficit: टैक्स नॉन-टैक्स रेवेन्यू बजटीय अनुमान का 49.8% और 78.5% था। जबकि टैक्स रेवेन्यू पिछले वित्तीय वर्ष में बजट अनुमान के 52.3% से कम था, नॉन-टैक्स रेवेन्यू पिछले वर्ष की समान अवधि में बजट पूर्वानुमान के 58.4% से बढ़ गया था।

नॉन-टैक्स रेवेन्यू में वृद्धि हुई क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 87,416 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी।

Fiscal Deficit में आई कमी

आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्व घाटा (Fiscal Deficit) 23.14 लाख करोड़ रुपये या वित्तीय वर्ष के बजट लक्ष्य का 26.6% था। राजस्व अंतर एक साल पहले की अवधि में 31.4% से कम हो गया।

इस वित्तीय वर्ष के लिए संघीय बजट की घोषणा करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत का लक्ष्य पिछले वित्तीय वर्ष में राजकोषीय अंतर को सकल घरेलू उत्पाद के 6.4% से कम करके 5.9% करना है।

महंगाई का दर पर सरकार को लगाना होगा लगाम

बढ़ते राजकोषीय घाटे के बीच यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार, जो अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद तीसरी बार सत्ता में लौटने की कोशिश कर रही है, उसको जल्द ही विभिन्न राजकोषीय उपायों को लागू करना होगा और विशेष रूप से सरपट दौड़ पर महंगाई की दर पर लगाम लगाना होगा।

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