Electoral Bonds Kya Hai? (What is Electoral bonds in Hindi): भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को गुमनाम चंदा देने की अनुमति देने वाली चुनावी बांड योजना को “असंवैधानिक” घोषित कर दिया है।
यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के साथ-साथ जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनाया।
अब, आइए जानें कि चुनावी बांड क्या हैं?, वे कैसे कार्य करते हैं (How do electoral bonds work?) और सुप्रीम कोर्ट ने उन पर प्रतिबंध क्यों लगाया है।
Electoral Bonds Kya Hai? | What is Electoral bonds in Hindi
इलेक्टोरल बांड वचन पत्र (Promissory notes) या धारक बांड (bearer bonds) के समान ब्याज मुक्त वित्तीय साधन हैं जिन्हें भारत में व्यक्ति या कंपनियां राजनीतिक दलों को धन देने के लिए खरीद सकती हैं।
1,000 रुपये से 1 करोड़ रुपये तक के मूल्यवर्ग में बेचे जाने वाले ये बांड विशेष रूप से राजनीतिक दान के लिए जारी किए जाते हैं और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा प्रशासित होते हैं।
2017 में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा घोषित और 2018 में लागू की गई इस योजना का उद्देश्य राजनीति में ब्लैक मनी के प्रभाव पर अंकुश लगाते हुए एक पारदर्शी तंत्र की पेशकश करके राजनीतिक फंडिंग (Political Funding) में सुधार करना था।
चुनावी बांड कैसे काम करते हैं? | How do electoral bonds work?
Electoral Bonds Kya Hai? यह समझने के बाद आइए आइए जानते है कि वे कैसे काम करते है? चुनावी बांड की प्रमुख विशेषताओं में से एक डोनर्स को प्रदान की गई गुमनामी थी, जिससे उन्हें अपनी पहचान का खुलासा किए बिना योगदान करने की अनुमति मिलती थी। इसके अलावा, इन बांडों के माध्यम से किया गया दान 100 प्रतिशत टैक्स फ्री के लिए पात्र था।
चुनावी बांड खरीदने के लिए व्यक्तियों या संस्थाओं के पास KYC-KYC-compliant bank Account होना चाहिए। एक बार हासिल करने के बाद, इन बांडों का उपयोग पात्र राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया जा सकता है, जो कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 A के तहत रजिस्टर्ड हैं और पिछले चुनावों में कम से कम 1 प्रतिशत वोट हासिल कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड पर रोक क्यों लगाई है?
सीजेआई चंद्रचूड़ के अनुसार, चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन करती है और इस प्रकार असंवैधानिक है।
इसके अतिरिक्त, योजना से संबंधित कंपनी अधिनियम में संशोधन को भी असंवैधानिक माना गया।
नतीजतन, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), जो चुनावी बांड जारी करता है, उनको इन बांडों को जारी करना तुरंत बंद करने का निर्देश दिया गया है।
अदालत के निर्देश के अनुसार, SBI को 6 मार्च तक भारत के चुनाव आयोग (ECI) को 2019 से चुनावी बांड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का डिटेल प्रदान करना होगा। इसके बाद, ईसीआई को इन डिटेल को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का काम सौंपा गया है।
तो आप जान गए होंगे कि Electoral Bonds Kya Hai? (What is Electoral bonds in Hindi) और यह कैसे काम करता है। ऐसी ही और खबरों के लिए पढ़ते रहें financialbeat.in
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