SEBI New Rules: 1 फरवरी से लागू होंगे शेयर मार्केट के नए नियम, आप भी जानिए
SEBI New Rules: शेयर मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने नए नियमों की घोषणा की है। ये नए नियम विदेशी निवेशकों पर लागू होंगे। सेबी का कहना है कि ‘ज्यादा रिस्क’ वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) से अतिरिक्त डिस्क्लोजर सिक्योर (Disclosure Secure) करने के लिए सेबी के आदेश की समय सीमा 1 फरवरी को समाप्त हो रही है।
SEBI के डिस्क्लोजर से जुड़े इस नियम के अनुसार, अगर मार्केट में कोई ऐसी खबर आती है, जिसकी जानकारी कंपनी ने न दी हो और ये आम लोगों के लिए उपलब्ध न हो, लेकिन इसका असर स्टॉक (Stock) पर देखने को मिल रहा है तो इस खबर के सामने आने के 24 घंटे के अंदर कंपनी को अपनी सफाई पेश करनी होगी। कंपनी को या तो खबर (News) की पुष्टि करनी होगी या फिर उसे खारिज करना होगा या फिर इस पर सफाई पेश करनी होगी। SEBI की अधिसूचना के साथ अब ये नियम (New Rules) देश की टॉप 100 लिस्टेड कंपनियों पर 1 फरवरी, 2024 से लागू होगा। वहीं, टॉप 250 कंपनियों पर ये नियम 1 अगस्त, 2024 से लागू किया जाएगा।
SEBI New Rules
इस नियम के कारण सिर्फ अटकलें या अफवाहों के आधार पर होने वाले Stock में उतार-चढ़ाव को रोका जा सकेगा और हर खबर पर समय पर सफाई मिल सकेगी।
इससे लोगों के बीच अनिश्चितता या भ्रम की स्थिति नहीं बनेगी।
SEBI ने अगस्त, 2023 में एनहांस्ड डिस्क्लोजर पर एक फाइनल सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें एफपीआई के लिए नवंबर, 2023 से शुरू होने वाली 90 दिन की अवधि में कुछ निष्पक्ष रूप से पहचाने गए ‘ज्यादा रिस्क’ वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के ओनरशिप, इकोनॉमिक इंटरेस्ट और कंट्रोल पर विस्तृत जानकारी जमा करने के लिए कहा गया था। इनमें सिंगल ग्रुप एक्सपोजर या भारत के इक्विटी इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण ओवरऑल होल्डिंग वाली FPIs शामिल थीं।
SEBI ने कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) का ऑब्जेक्टिव सिलेक्शन किया है, जो ‘ज्यादा रिस्क’ केटेगरी के तहत आने के योग्य हैं। इनकी पहचान दो जरूरी मानदंड बिंदुओं के आधार पर की गई, पहला- जिनके मैनेजमेंट के तहत भारत की 50 फीसदी संपत्ति एक ही कॉर्पोरेट ग्रुप में होगी। दूसरा- जिनके पास भारतीय इक्विटी मार्केट में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) हैं।
अगर ये पहचाने गए एफपीआई 31 जनवरी तक जरूरी जानकारी नहीं दे पाते हैं तो उन्हें ऐसा करने के लिए अतिरिक्त 10 दिनों का ग्रेस पीरियड (Grace Period) दिया जाएगा, जो 10 फरवरी तक होगी। इसके भी इन ‘ज्यादा रिस्क’ वाले FPIs के लिए कोई तत्काल समय सीमा या बाधा नहीं है, क्योंकि उनके पास अनुपालन करने और ज्यादा रिस्क केटेगरी से बाहर निकलने के लिए अपनी होल्डिंग को खत्म करने या फिर से बैलेंस करने के लिए 10 फरवरी से शुरू होने वाले 6 महीने का समय और होगा। SEBI का उद्देश्य ‘ज्यादा रिस्क’ केटेगरी में FPIs की हिस्सेदारी खत्म करना नहीं है, बल्कि यह केवल अंतिम लाभकारी स्वामित्व पर जानकारी चाहती है।
SEBI ने उन एफपीआई को छूट की एक लिस्ट भी दी है, जिन्हें ‘ज्यादा रिस्क’ सेगमेंट से बाहर रखा गया है। इनको ओनरशिप, कंट्रोल और इकोनॉमिक इंटरेस्ट पर जरूरी विस्तृत जानकारी देने से छूट दी जाएगी।
इसमें शामिल हैं ये
सरकार और सरकार से संबंधित संस्थाएं जैसे- केंद्रीय बैंक, सॉवरेन वेल्थ फंड, पेंशन फंड, पब्लिक रिटेल फंड
FPIs के पास व्यापक निवेशक आधार के साथ व्यापक आधार वाला पूल्ड स्ट्रक्चर
भारत और भारत से संबंधित इक्विटी में 50 फीसदी से कम एक्सपोजर वाला ETF
FPIs, जिनकी भारतीय कॉरपोरेट में हिस्सेदारी स्कीम लेवल पर कुल वैश्विक AUM के 25 फीसदी से कम है
FPIs, जिनकी भारतीय इक्विटी AUM स्कीम लेवल पर कुल वैश्विक AUM के 50 फीसदी से कम है
IPO Lock-in, मोरेटोरियम जैसे प्रतिबंधों के कारण FPIs अतिरिक्त निवेश को समाप्त करने में असमर्थ हैं
नई रजिस्टर्ड FPIs, भारत में पहले व्यापार के निपटान की तारीख से पहले 90 दिन।