Short Term FD vs Long Term FD: आपके लिए कौन सी एफडी सही? चुनने से पहले समझें ये 5 बातें

Short Term FD vs Long Term FD: भारत में स्थिर रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक पसंदीदा विकल्प बना हुआ है। हालांकि, एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। वह है कार्यकाल का चयन, जो निवेश के रिटर्न और नकदी (Liquidity) को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। सही एफडी समय का चयन व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों और परिस्थितियों के अनुरूप समझदारी दिखाने की मांग करता है।

एफडी की अवधि उस समय को संदर्भित करती है, जिसके लिए निवेश लॉक रहता है। यह कुछ दिनों से लेकर कई वर्षों तक होता है और हर अवधि का रिटर्न और फंड की पहुंच पर अपना प्रभाव पड़ता है। छोटी अवधि (Short Term) एफडी आम तौर पर कम ब्याज दरें देती हैं, लेकिन फंड तक जल्‍दी पहुंच प्रदान करती हैं, जबकि लंबी अवधि (Long Term) के लिए ब्याज दरें ज्‍यादा होती हैं, लेकिन नकदी (Liquidity) सीमित होती है। हम आपको वे पांच बातें बताएंगे, जो आपके लिए सही निर्णय लेने में मददगार साबित होंगी-

आवश्यकताओं के अनुरूप चुनें

एफडी समय तय करने से पहले अपने वित्तीय उद्देश्यों और आवश्यकताओं कों आकलन करें, समझें। अगर आपको निकट भविष्य में किसी जरूरी उद्देश्य के लिए फंड की जरूरत है तो छोटी अवधि (Short Term) एफडी का विकल्प चुनना समझदारी होगी। इसके विपरीत, दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए या जब निश्चित रूप से फंड तक तत्काल पहुंच की आवश्यकता नहीं होती है तो उच्च ब्याज दरें देने वाली लंबी अवधि (Long Term) एफडी ज्‍यादा फायदेमंद हो सकती है।

ब्याज दरों (Interest Rate) को समझें

एफडी पर दी जाने वाली ब्याज दरें अ‍वधि के आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं। आम तौर पर, लंबी अवधि पर ज्‍यादा ब्याज दरें आकर्षित करती हैं, लेकिन संभावित उतार-चढ़ाव का आकलन करने के लिए मौजूदा ब्याज दर परिदृश्य और पूर्वानुमानों का विश्लेषण जरूर कर लें। ब्याज दर में बदलाव से बचाव और नकदी (Liquidity) बनाए रखने के लिए निवेश को अलग-अलग अवधि के कई एफडी में विभाजित करने पर भी विचार कर सकते हैं।

कर निहितार्थ (Tax Implications)

एफडी ब्याज पर कर निर्धारण (Taxation) आपके रिटर्न पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, खासकर उच्च कर ब्रैकेट वाले व्यक्तियों के लिए। छोटी अवधि के कारण कुल अर्जित ब्याज कम हो सकता है, जिसके फलस्वरूप Tax योग्य आय कम हो सकती है। चुनी गई अवधि के आधार पर टैक्‍सेशन के प्रभाव का मूल्यांकन करें और टैक्‍स देनदारियों को अनुकूलित करने के लिए टैक्स-सेवर एफडी (Tax Saver FD) या परिपक्वता के समय जैसे विकल्पों का पता लगाएं।

मुद्रास्फीति और वास्तविक रिटर्न (Inflation and Real Returns)

लंबी लॉक-इन अवधि (Lock-in Period) इंफ्लेशन के कारण आपके फंड के वास्तविक मूल्य में गिरावट का कारण बन सकती है। कार्यकाल और वास्तविक रिटर्न के बीच संतुलन का लक्ष्य रखें, यह सुनिश्चित करते हुए कि अर्जित ब्याज आपके फंड की क्रय शक्ति को बनाए रखने के लिए मुद्रास्फीति दर से अधिक हो।

सीढ़ी बनाने की रणनीति (Laddering Strategy)

विभिन्न अवधियों में अपने एफडी पोर्टफोलियो में विविधता लाना, जिसे लैडरिंग भी कहा जाता है, रिटर्न और नकदी का मिश्रण प्रदान कर सकता है। इस रणनीति में विभिन्न परिपक्वताओं में निवेश फैलाना, अलग-अलग ब्याज दरों से लाभ उठाते हुए फंड तक नियमित पहुंच की अनुमति देना शामिल है। लैडरिंग से एक ही अवधि के लिए सभी फंडों को लॉक करने का जोखिम कम हो जाता है।

Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, “एफडी लैडरिंग आपके पैसे तक नियमित पहुंच बनाए रखते हुए आपकी बचत के औसत रिटर्न को अधिकतम करने के लिए एक स्मार्ट विधि के रूप में कार्य करती है। उदाहरण के लिए आप अपने फंड को अलग-अलग अवधि जैसे 1-साल, 2-साल, 3-साल और 5-साल की एफडी में बांट सकते हैं। यह रणनीति सुनिश्चित करती है कि आपके निवेश का एक हिस्सा सालाना मैच्योर हो। जैसे-जैसे हर FD मैच्योर होती है, आप इसे नवीनीकृत करने या फंड निकालने का फैसला ले सकते हैं। यदि इंफ्लेशन कम रहता है तो आप मौजूदा ब्याज दरों पर मैच्योर एफडी को फिर से निवेश कर सकते हैं। दूसरी ओर, यदि ब्याज दरें बढ़ती हैं तो आप उच्च प्रचलित दरों (High Prevalence Rates) से लाभ उठा सकते हैं।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button