आईपीओ मार्केट में लागू हो चुका है T+3 IPO Listing Rule, अब निवेशकों को होगा ये फायदा
What is T+3 IPO Listing Rule?: 1 दिसंबर, 2023 से सभी भारतीय कंपनियों के लिए T+3 IPO लिस्टिंग अनिवार्य हो गई है। ‘T’ का मतलब इश्यू की समापन तिथि (closure date) है।
इसका मतलब है कि आईपीओ को समापन दिवस के बाद तीसरे दिन सूचीबद्ध (Listed) किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, मान लें कि आईपीओ महीने की 3 तारीख (T) को बंद हो रहा है और शेयर महीने की 6 तारीख (T+3) को स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होंगे। बता दें कि यह पहले T+6 था।
T+3 IPO Listing Rule 6 दिसंबर से लागू
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने जून 2023 में आईपीओ लिस्टिंग की समयसीमा को छह दिन से घटाकर तीन दिन कर दिया था। नया नियम दो चरणों में लागू किया गया था, जहां यह 1 सितंबर, 2023 से वैकल्पिक था और 1 दिसंबर 2023 से अनिवार्य कर दिया गया।
इस कदम से, जारीकर्ताओं (issuers) को लाभ होने की संभावना है क्योंकि उन्हें कम समय सीमा में लिस्टेड सिक्योरिटीज प्राप्त होंगी, साथ ही जिन लोगों को सिक्योरिटीज एलोकेट नहीं की गई हैं, उन्हें अपना पैसा तेजी से वापस मिल जाएगा।
T+3 IPO Listing Rule से निवेशक कर सकेंगे बेहतर प्लानिंग
विशेषज्ञों की राय है कि समयसीमा कम होने से निवेशक बेहतर योजना बना सकेंगे। इसके अलावा, कम समय में बदलाव के परिणामस्वरूप निवेशकों के पास बेहतर तरलता होगी क्योंकि फंड कम अवधि के लिए अवरुद्ध रहेंगे। परिणामस्वरूप, यह अन्य तरीकों से धन तैनात करने के लिए अधिक विकल्प खोलता है।
नए कदम से आधे समय में बिडर्स के फंड को अनब्लॉक किया जा सकेगा। रिटेन इंवेस्टर, जिनके पास निवेश करने के लिए सीमित पूंजी (Limited Capital) होती है, आम तौर पर उनके फंड लंबी अवधि के लिए अवरुद्ध होते हैं और कभी-कभी, कहीं और निवेश करने का अवसर चूक जाते हैं। अगर वे आवंटियों में से नहीं हैं तो इससे उनकी अवसर लागत कम हो जाएगी।
इन्हे भी मिलेगा लाभ
T+3 IPO Listing Rule से गैर-संस्थागत निवेशकों (NIIs) या उच्च-नेटवर्थ व्यक्तियों (HNIs) को भी लाभ होगा। ऐसे व्यक्ति आमतौर पर उच्च ब्याज दर पर निवेश के लिए धन उधार लेते है, इसलिए उनकी फंड कॉस्ट काफी कम हो जाएगी।
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